बायपोलर मूड डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें व्यक्ति के मूड में गंभीर उतार-चढ़ाव होते हैं, जिसमें मैनिक (उत्साही) और डिप्रेसिव (अवसादी) एपिसोड शामिल होते हैं।
बायपोलर मूड डिसऑर्डर के इलाज के लिए सामान्यत: मूड स्टेबलाइज़र (जैसे लिथियम), एंटीसाइकोटिक्स (जैसे क्वेटियापिन, ओलान्ज़ापिन), और कभी-कभी एंटीडिप्रेसेंट्स उपयोग की जाती हैं।
लिथियम मूड को स्थिर करने में मदद करता है और मैनिक और डिप्रेसिव एपिसोड्स के बीच संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
लिथियम के सामान्य साइड इफेक्ट्स में वजन बढ़ना, थायरॉइड कार्य में बदलाव, मांसपेशियों में कमजोरियों और किडनी कार्य में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।
एंटीसाइकोटिक्स का उपयोग मैनिक एपिसोड्स और कभी-कभी डिप्रेसिव एपिसोड्स के इलाज में किया जाता है, खासकर जब लक्षण गंभीर हों या अन्य दवाएँ प्रभावी न हों।
बायपोलर मूड डिसऑर्डर के इलाज के लिए सामान्यत: क्वेटियापिन (Quetiapine), ओलान्ज़ापिन (Olanzapine), और रीस्पीरिडोन (Risperidone) जैसी एंटीसाइकोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
एंटीडिप्रेसेंट्स का उपयोग डिप्रेसिव एपिसोड्स के इलाज के लिए किया जाता है, लेकिन इन्हें आमतौर पर मूड स्टेबलाइज़र के साथ संयोजन में उपयोग किया जाता है ताकि मैनिक एपिसोड्स को उत्तेजित न किया जा सके।
दवाओं की खुराक व्यक्ति की उम्र, वजन, स्वास्थ्य स्थिति, और दवा के प्रति प्रतिक्रिया के आधार पर डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जाती है।
सामान्यत: बायपोलर मूड डिसऑर्डर की दवाएँ लत का कारण नहीं बनती हैं, लेकिन बेंजोडायजेपाइन जैसे दवाओं का अत्यधिक उपयोग लत का कारण बन सकता है।
लिथियम की प्रभावशीलता और विषाक्तता को मॉनिटर करने के लिए नियमित रूप से खून की जांच की जाती है ताकि लिथियम का स्तर और किडनी की स्थिति की निगरानी की जा सके।
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