संज्ञानात्मक-व्यवहारिक थैरेपी एक प्रकार की मनोचिकित्सा है जो नकारात्मक सोच और व्यवहारों को पहचानने और उन्हें सकारात्मक और व्यावहारिक तरीके से बदलने पर केंद्रित होती है।
CBT का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति की नकारात्मक सोच और व्यवहार को समझना और बदलना है, ताकि मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सके और जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सके।
संज्ञानात्मक घटक में व्यक्ति की सोच और विश्वासों पर ध्यान दिया जाता है, जबकि व्यवहारिक घटक में व्यक्ति के व्यवहार और उनके परिणामों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
CBT अवसाद, चिंता विकार, फोबिया, ओसीडी (Obsessive-Compulsive Disorder), PTSD (Post-Traumatic Stress Disorder), और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए उपयोगी है।
CBT में व्यक्ति अपनी नकारात्मक सोच को पहचानता है, उन पर सवाल उठाता है, और सकारात्मक और व्यवहारिक विचारों और प्रतिक्रियाओं को अपनाता है।
CBT से व्यक्ति की नकारात्मक और अवास्तविक सोच को चुनौती दी जाती है और उन्हें सकारात्मक और वास्तविक सोच के विकल्प दिए जाते हैं।
CBT सत्र आमतौर पर 45 से 60 मिनट तक चलते हैं और यह सत्र हफ्ते में एक या दो बार आयोजित किए जा सकते हैं।
CBT दोनों व्यक्तिगत और समूह चिकित्सा के रूप में की जा सकती है। व्यक्तिगत थैरेपी में एक-एक कर के काम किया जाता है, जबकि समूह थैरेपी में एक ही समस्या वाले लोग एक साथ काम करते हैं।
CBT में सोच की रिकॉर्डिंग, व्यवहारिक प्रयोग, समस्याओं का समाधान, और आत्म-निर्णय (self-monitoring) जैसी तकनीकें उपयोग की जाती हैं।
CBT की अवधि व्यक्ति की समस्या की जटिलता पर निर्भर करती है, लेकिन आमतौर पर 12 से 20 सत्रों की आवश्यकता होती है।
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