मादक पदार्थों और मनोविज्ञान का गहरा संबंध होता है। मादक पदार्थों का सेवन मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। यह न केवल मानसिक विकारों जैसे कि उदासी और चिंता को बढ़ा सकता है, बल्कि सोचने-समझने की क्षमता और भावनात्मक संतुलन को भी प्रभावित करता है। इसके अलावा, मादक पदार्थों की लत से व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता और सामाजिक संबंधों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मनोवैज्ञानिक उपचार और परामर्श मादक पदार्थों की लत से छुटकारा पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सुधरता है। अवसाद, चिंता, सामाजिक दबाव , अनुवांशिकता और आत्म सम्मान की कमी, जिज्ञासा और रोमांच जैसे कारणो से व्यक्ति मादक पदार्थो का सेवन की शुरुवात करता है। आइये इसे समझे।
तनाव और अवसाद प्रमुख कारण होते हैं जिनकी वजह से लोग नशीली दवाओं का सेवन शुरू करते हैं। जब व्यक्ति अत्यधिक तनाव में होता है या अवसाद से ग्रस्त होता है, तो वह अस्थायी राहत पाने के लिए नशीली दवाओं का सहारा ले सकता है। दवाओं का सेवन उन्हें कुछ समय के लिए मानसिक शांति और सुकून प्रदान कर सकता है, हालांकि यह राहत अस्थायी होती है और दीर्घकालिक समस्याएं बढ़ सकती हैं।
सामाजिक दबाव, विशेषकर युवाओं में, नशीली दवाओं के सेवन का एक बड़ा कारण होता है। मित्रों और साथियों के दबाव में आकर, लोग अक्सर नशीली दवाओं का सेवन शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से वे समूह में स्वीकार्य होंगे और उन्हें दूसरों के द्वारा पसंद किया जाएगा। यह सामाजिक स्वीकृति की चाह और दबाव उन्हें दवाओं के सेवन की ओर धकेलती है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति के नशीली दवाओं के सेवन पर गहरा प्रभाव होता है। यदि परिवार में किसी सदस्य का नशीली दवाओं का सेवन करना आम हो, तो व्यक्ति के लिए इसे सामान्य समझना और उसे अपनाना आसान हो जाता है। पारिवारिक समस्याएं, जैसे माता-पिता के बीच तनावपूर्ण संबंध या परिवार में हिंसा, भी व्यक्ति को नशीली दवाओं की ओर आकर्षित कर सकते हैं।
आत्मसम्मान की कमी भी नशीली दवाओं के सेवन का एक बड़ा कारण हो सकती है। जिन लोगों को अपने आत्मसम्मान में कमी महसूस होती है, वे अक्सर नशीली दवाओं का सहारा लेते हैं ताकि वे खुद को बेहतर महसूस कर सकें। दवाओं का सेवन उन्हें अस्थायी रूप से आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ाने का अनुभव करा सकता है, हालांकि यह प्रभाव जल्दी ही समाप्त हो जाता है और समस्या और बढ़ जाती है।
मानसिक स्वास्थ्य विकार, जैसे चिंता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर), बाइपोलर डिसऑर्डर, और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), भी नशीली दवाओं के सेवन का कारण बन सकते हैं। इन विकारों से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपने लक्षणों से राहत पाने के लिए नशीली दवाओं का उपयोग करते हैं। यह स्व-औषधि (सेल्फ-मेडिकेशन) का एक रूप हो सकता है, हालांकि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को और भी खराब कर सकता है।
कई लोग जिज्ञासा और रोमांच के कारण भी नशीली दवाओं का सेवन शुरू करते हैं। विशेषकर युवा, नई चीजें आजमाने और अनुभव करने की इच्छा में नशीली दवाओं का सेवन कर सकते हैं। उन्हें यह देखने की जिज्ञासा होती है कि दवाओं का सेवन कैसे महसूस होता है और यह उनके जीवन में क्या बदलाव ला सकता है। हालांकि, यह जिज्ञासा और रोमांच अक्सर नशीली दवाओं की लत और दीर्घकालिक समस्याओं का कारण बन सकता है।
इन सभी मनोवैज्ञानिक कारणों को समझकर और सही कदम उठाकर नशीली दवाओं के सेवन को रोका जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और समस्याओं का समाधान खोजने के लिए सही समर्थन प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
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