चिकित्सा के दौरान व्यक्ति को अपनी बीमारियों की वास्तविकता को समझने में कठिनाई हो सकती है, और उपचार प्रक्रिया में धैर्य की आवश्यकता हो सकती है।
हाँ, हालांकि व्यक्ति को अपनी समस्याओं का ज्ञान होता है, लेकिन वह अपनी चिंताओं को वास्तविक और गंभीर मानता है।
संज्ञानात्मक-व्यवहारिक चिकित्सा (CBT), दवाइयाँ, और मनोचिकित्सा उपयोगी हो सकती हैं।
हाँ, सोशल सपोर्ट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यक्ति को भावनात्मक समर्थन और उपचार में मदद प्रदान करता है।
हाँ, व्यक्तिगत थेरैपी विशेष रूप से संज्ञानात्मक-व्यवहारिक चिकित्सा (CBT) हाइपोकॉन्ड्रियासिस के इलाज में प्रभावी हो सकती है।
हाँ, कभी-कभी लक्षण वापिस आ सकते हैं, लेकिन उचित इलाज और दीर्घकालिक प्रबंधन से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।
हाँ, परिवार का समर्थन महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह व्यक्ति को भावनात्मक और मानसिक रूप से समर्थन प्रदान करता है।
नहीं, हाइपोकॉन्ड्रियासिस के लक्षण मानसिक और भावनात्मक रूप से भी संबंधित हो सकते हैं, जैसे अत्यधिक चिंता और तनाव।
हाँ, व्यक्ति अक्सर बार-बार मेडिकल जांच करवाता है और अपनी सेहत के बारे में अधिक चिंतित रहता है।
हाँ, आत्म-सहायता तकनीकें जैसे ध्यान, तनाव प्रबंधन, और सकारात्मक सोच की तकनीकें भी हाइपोकॉन्ड्रियासिस के इलाज में सहायक हो सकती हैं।
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