भावनाएं हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये हमें मानवता की भावनाओं को समझने और अनुभव करने की क्षमता प्रदान करती हैं। हमारी भावनाएँ हमारे व्यक्तित्व को दर्शाती हैं और हमारे सोचने, अनुभवने, और कार्यों को प्रेरित करती हैं। प्रेम, खुशी, दुःख, गुस्सा, डर, उत्साह - ये सभी हमारी भावनाओं के प्रमुख प्रकार हैं। हर भावनाएं हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। ये हमारे मन की गहराईयों में उत्तेजना, संवेदना और अनुभवों का सिंचन करती हैं। चिढ़ाव अधिक समय तक धीरे-धीरे बढ़ती है और छोटी-मोटी बातों पर उत्तेजित होने की क्षमता होती है और हमें इन्हें समझकर उनका सामान्य और सही तरीके से सामना करना चाहिए। इन भावनाओं का हमारे संबंधों, निर्णयों और जीवन के तरीकों पर गहरा प्रभाव होता है। इन भावनाओं का संतुलन बनाए रखना हमारे संबंधों और समाज में समायोजन बनाए रखने में मदद करता है। वैसे ही हमारे अंदर सकारात्मक और नकारात्मक भावो का संचय कुदरत दवारा किया गया है। जब हमारे नकारात्मक भावो का हमारे जीवन पैर गहरा असर होता है ऐसे ही भावो में चिढाव और क्रोध है, जिसका रूप एक है पर इससे हर व्यक्ति अलग तरह से व्यक्त करता है।
चिढ़ाव और क्रोध के बीच में अंत।
चिढ़ाव (Irritability): चिढ़ाव एक आवेगात्मक अवस्था होती है छोटी सी बात या व्यक्ति के मन मुटाव के कारण होती है। यह आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ती है और व्यक्ति को छोटी-मोटी बातों पर चिढ़ा देता है। चिढ़ाव व्यक्ति की सामान्य धारणा और स्थितियों को बिगाड़ सकती है, लेकिन यह अधिकतर असमर्थता या नकारात्मक भावनाओं के रूप में प्रकट नहीं होती ।जो व्यक्ति को अस्थायी रूप से अकेला या अच्छा महसूस नहीं कराती। यह सामान्यत: छोटे से मामूली बातों से उत्पन्न होती है और धीरे-धीरे बढ़ती है। चिढ़ाव व्यक्ति की क्षमता को व्यवस्थित और स्थिर रूप से प्रभावित करने की क्षमता है। यह एक छोटी-मोटी बात या अन्याय की भावना के कारण हो सकती है, जिससे व्यक्ति का ध्यान बाधित होता है और वह छोटी सी बातों पर जल्दी चिढ़ जाता है। यह आमतौर पर धीरे-धीरे, अल्पकालिक और संकटमय होता है। व्यक्ति जब चिढ़ जाता है तब वह मौखिक रूप से अपनी इस भावनाओ को प्रकट करता है, या अपने हावभाव से इस भावना को दिखता है।
क्रोध (Anger): क्रोध एक अधिक उत्तेजित और गहरे आवेगात्मक अवस्था है जो बड़ी बातों या घातक घटनाओं की वजह से उत्पन्न हो सकती है। यह चिढ़ाव से भिन्न होता है क्योंकि यह अधिक घातक होता है और अक्सर व्यक्ति के व्यवहार पर गहरा प्रभाव डालता है। क्रोध व्यक्ति को अपने आप को खो देने की अवस्था में ले जा सकता है, जिससे उनका निर्णय और व्यवहार प्रभावित होता है। क्रोध एक अधिक प्रभावशाली और तेज भावना होती है जो आमतौर पर गहरी स्थितियों से उत्पन्न होती है, , क्रोध एक भावना है जो हमारे मन में उत्तेजना, गुस्सा या नाराजगी के रूप में प्रकट होती है। यह एक तेज, गहरा और सामान्यत: नकारात्मक भावना होती है जो किसी समस्या, अनुभव या परिस्थिति के प्रति प्रतिक्रिया हो सकती है। इसमें अकस्मात रूप से होने वाला गुस्सा, अत्यधिक रोष या व्यवहारिक आक्रामकता शामिल हो सकती है।
मनोविज्ञान में, 'आक्रामकता' और 'चिढ़चिढ़ापन' में अंतर होता है। आक्रामकता एक प्रकार की सक्रियता होती है जो व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करती है। यह जब व्यक्ति किसी व्यक्ति, स्थिति या वस्तु के प्रति हिंसा, अपराध या आक्रोश दिखाता है। दूसरी ओर, चिढ़चिढ़ापन व्यक्ति की ध्यानाकर्षण शक्ति को कम करता है और उसकी संतुलितता को प्रभावित करता है। यह सामान्यतः छोटे चीजों से परेशान होने और छोटी-छोटी बातों पर बहुत जल्दी चिढ़ जाने की अवस्था होती है। इन दोनों में अंतर है कि आक्रामकता व्यक्ति के प्रति या उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों में ज्यादा व्यवहारिक रूप से प्रकट होती है, जबकि चिढ़चिढ़ापन व्यक्ति के भावनात्मक स्तर पर होता है और ज्यादातर उसके आंतरिक अनुभवों में समायोजित होता है।
आक्रामकता और चिढ़चिढ़ापन को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय।
आक्रामकता और चिढ़चिढ़ापन को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय हो सकते हैं। प्राथमिक रूप से, आपको स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली को अपनाना होगा। ध्यान और योग की प्रैक्टिस, अच्छी नींद लेना और स्वस्थ आहार खाना, इन सभी बातों में मददगार हो सकता है। समस्याओं को सुलझाने के लिए, ध्यान या शांति प्राप्ति की तकनीकें सीखना भी उपयोगी हो सकता है। व्यायाम, योग और मेडिटेशन जैसी व्यक्तिगत तकनीकों का अभ्यास करना, आपकी मानसिक शांति और संतुलन में मदद कर सकता है। साथ ही, अपने भावनात्मक स्थिति को समझने और समझाने के लिए सहायता और समर्थन भी महत्वपूर्ण होता है। अगर आपको लगता है कि आप इस समस्या को सोल्व करने में अकेले नहीं हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से मिलकर उनसे सलाह लेना भी उपयोगी हो सकता है।
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